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राजस्थान के प्रसिद्ध मंदिर

राजस्थान भारत का बहुत ही धार्मिक और संस्कृति वाला राज्य है जहां आज भी लोग पूजा अर्चना में बहुत विश्वास रखते है। राजस्थान का हर मंदिर अपनी अलग विशेषता के साथ प्रदेश में आकर्षण का केंद्र बने हुए है। जिनके दर्शन करने हर रोज हजारों की संख्या में भक्त पहुंचते हैं। अगर आप राजस्थान के सभी प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में जानकारी प्राप्त करना चाहते है, तो हमारे इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े जिसमे हम आपको राजस्थान के सबसे प्रसिद्ध मंदिर के बारे में बताने जा रहे है.....

अजमेर
अलवर
बांसवाड़ा
बारां
बाड़मेर
भरतपुर
भीलवाड़ा
बीकानेर
बूंदी
चितौड़गढ़
चूरू
दौसा
धोलपुर
डूंगरपुर
हनुमानगढ़
जयपुर
जैसमेर
जालौर
झालावाड़
झुंझुंनू
जोधपुर
करौली
कोटा
नागौर
पाली
प्रतापगढ़
राजसमंद
सवाई माधोपुर
सीकर
सिरोही
श्रीगंगानगर
टोंक
उदयपुर

 

 

 

 

श्री बालाजी मंदिर, सालासर (चूरू)

सिद्धपीठ श्री मोहनदासजी महाराज की असीम भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं रामदूत श्री हनुमानजी ने मूर्ति रूप में संवत् 1811 विक्रमी श्रवण शुक्ला नवमी शनिवार को आसोटा में प्रकट होकर सालासर में अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण की। सम्वत् 1815 में अपने शिष्य उदयराम जी द्वारा मंदिर बनाकर उदयरामजी व उनके वंशजों को मंदिर की सेवा सौंपकर आप जीवित समाधिस्थ हो गये। सालासर बालाजी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

श्री श्याम बाबा मंदिर, खाटूश्यामजी (सीकर)

खाटू श्याम को भगवान श्री कृष्ण के कलयुगी अवतार के रूप में जाना जाता है। ऐसा कहे जाने के पीछे एक पौराणिक कथा  है। राजस्थान के सीकर जिले में इनका भव्य मंदिर स्थित जहां हर साल बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं। लोगों का विश्वास है कि बाबा श्याम सभी की मुरादें पूर करते हैं और रंक को भी राजा बना सकते हैं। श्री श्याम बाबा मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

जीणमाता मंदिर (सीकर)

जीणमाता राजस्थान, भारत के सीकर जिले में धार्मिक महत्व का एक गांव है। यह दक्षिण में सीकर शहर से 29 किमी की दूरी पर स्थित है। ... श्री जीणमाता जी (शक्ति की देवी) को समर्पित एक प्राचीन मंदिर है। जीण माता जी का पवित्र मंदिर माना जाता है कि यह एक हजार साल पुराना है। जीणमाता मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

श्री राणी सती दादी मंदिर, झुँझुँनू

विश्व प्रसिद्ध राणी सती मंदिर राजस्थान के झुंझुनूं शहर में स्थित है। लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का यह केन्द्र यूं तो सालभर श्रद्धालुओं से अटा रहता है। मगर आस्था का सबसे अधिक सैलाब यहां के वार्षिक पूजा महोत्सव में उमड़ता है। राणी सती दादी की वार्षिक पूजा हर साल भादवे की अमावस्या को होती है। ऐसे में इसे भादोत्सव के नाम से भी जाना जाता है। इस उपलक्ष्य में राणी सती दादी मंदिर परिसर में विशाल मेला लगता है। श्री राणी सती दादी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

गोगाजी मंदिर, ददरेवा (चूरू)

गोगाजी का जन्म ददरेवा (चूरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगाजी को सांपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी चौहान, गुग्गा, जाहिर वीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं। गोगाजी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

श्री बालाजी मंदिर, सालासर (चूरू)

सिद्धपीठ श्री मोहनदासजी महाराज की असीम भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं रामदूत श्री हनुमानजी ने मूर्ति रूप में संवत् 1811 विक्रमी श्रवण शुक्ला नवमी शनिवार को आसोटा में प्रकट होकर सालासर में अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण की। सम्वत् 1815 में अपने शिष्य उदयराम जी द्वारा मंदिर बनाकर उदयरामजी व उनके वंशजों को मंदिर की सेवा सौंपकर आप जीवित समाधिस्थ हो गये। सालासर बालाजी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

श्री बालाजी मंदिर, सालासर (चूरू)

सिद्धपीठ श्री मोहनदासजी महाराज की असीम भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं रामदूत श्री हनुमानजी ने मूर्ति रूप में संवत् 1811 विक्रमी श्रवण शुक्ला नवमी शनिवार को आसोटा में प्रकट होकर सालासर में अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण की। सम्वत् 1815 में अपने शिष्य उदयराम जी द्वारा मंदिर बनाकर उदयरामजी व उनके वंशजों को मंदिर की सेवा सौंपकर आप जीवित समाधिस्थ हो गये। सालासर बालाजी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

श्री बालाजी मंदिर, सालासर (चूरू)

सिद्धपीठ श्री मोहनदासजी महाराज की असीम भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं रामदूत श्री हनुमानजी ने मूर्ति रूप में संवत् 1811 विक्रमी श्रवण शुक्ला नवमी शनिवार को आसोटा में प्रकट होकर सालासर में अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण की। सम्वत् 1815 में अपने शिष्य उदयराम जी द्वारा मंदिर बनाकर उदयरामजी व उनके वंशजों को मंदिर की सेवा सौंपकर आप जीवित समाधिस्थ हो गये। सालासर बालाजी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

श्री बालाजी मंदिर, सालासर (चूरू)

सिद्धपीठ श्री मोहनदासजी महाराज की असीम भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं रामदूत श्री हनुमानजी ने मूर्ति रूप में संवत् 1811 विक्रमी श्रवण शुक्ला नवमी शनिवार को आसोटा में प्रकट होकर सालासर में अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण की। सम्वत् 1815 में अपने शिष्य उदयराम जी द्वारा मंदिर बनाकर उदयरामजी व उनके वंशजों को मंदिर की सेवा सौंपकर आप जीवित समाधिस्थ हो गये। सालासर बालाजी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....

 

श्री बालाजी मंदिर, सालासर (चूरू)

सिद्धपीठ श्री मोहनदासजी महाराज की असीम भक्ति से प्रसन्न होकर स्वयं रामदूत श्री हनुमानजी ने मूर्ति रूप में संवत् 1811 विक्रमी श्रवण शुक्ला नवमी शनिवार को आसोटा में प्रकट होकर सालासर में अपने भक्त की मनोकामना पूर्ण की। सम्वत् 1815 में अपने शिष्य उदयराम जी द्वारा मंदिर बनाकर उदयरामजी व उनके वंशजों को मंदिर की सेवा सौंपकर आप जीवित समाधिस्थ हो गये। सालासर बालाजी मंदिर के बारे में अधिक जानने के लिए क्लिक करें.....