1952-57 |
सदस्य, पहली राजस्थान विधान सभा |
26/04/1951 - 03/03/1952 |
मुख्यमंत्री, गृह विभाग, राजस्थान सरकार |
26/04/1951 - 03/03/1952 |
मुख्यमंत्री, नियुक्ति विभाग, राजस्थान सरकार |
26/04/1951 - 03/03/1952 |
मुख्यमंत्री, राजनीतिक विभाग, राजस्थान सरकार |
26/04/1951 - 03/03/1952 |
मुख्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग, राजस्थान सरकार |
01/11/1952 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, सामान्य देखरेख व समन्वय विभाग, राजस्थान सरकार |
26/11/1952 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, राजनीतिक विभाग, राजस्थान सरकार |
26/11/1952 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, सामान्य प्रशासन विभाग, राजस्थान सरकार |
15/12/1952 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, नियुक्ति विभाग, राजस्थान सरकार |
22/01/1953 - 07/01/1954 |
मुख्यमंत्री, वित्त विभाग, राजस्थान सरकार |
15/04/1953 - 07/01/1954 |
मुख्यमंत्री, न्याय विभाग, राजस्थान सरकार |
15/04/1953 - 07/01/1954 |
मुख्यमंत्री, विधि परामर्शी विभाग, राजस्थान सरकार |
15/04/1953 - 07/01/1954 |
मुख्यमंत्री, विधि विभाग, राजस्थान सरकार |
15/04/1953 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, गृह विभाग, राजस्थान सरकार |
15/04/1953 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, निर्वाचन विभाग, राजस्थान सरकार |
15/04/1953 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, विधान सभा विभाग, राजस्थान सरकार |
09/01/1954 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, आयोजना विभाग, राजस्थान सरकार |
09/01/1954 - 13/11/1954 |
मुख्यमंत्री, उद्योग विभाग, राजस्थान सरकार |
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अन्य जानकारी |
परिवार के आर्थिक दवाब के कारण पढ़ाई छोड़नी पड़ी और 1918 में श्री सुमेर पुष्टिकर स्कूल, जोधपुर में शिक्षक बन गए । |
अभिरुचि |
महिला शिक्षा के लिए उन्होंने धन इकट्ठा करने के लिए 'आटा दान' मिशन शुरू किया जहां उन्होंने पड़ाेसी गांवों से आटा एकत्र किया और पैसे के बदले इसे बेचा । साक्षरता कार्यक्रम को लागू कर गर्ल्स स्कूल के रूप में खड़ा है । 'म्हाने ऐसा राज दीजे म्हारा राजाजी, गॉव गॉव पंचायत चुणकर, पंच चलावे राज, जिले जिले री कमेटियां में व्है परजा रो राज' |
जेल यात्रा |
वर्ष 1929 में मारवाड़ राज्य लोक परिषद के तहत एक आन्दोलन शुरू किया गया । आम लोगों से कहा गया कि वे जागीरदारों को राजस्व या किसी भी प्रकार का कर न दें इसने राज्य के अधिकारियों को नाराज कर दिया 1 इस उकसावे से भड़के शासक ने जय नारायण व्यास और उनके साथियों पर देशद्रोह का आरोप लगाया । उन्हें 6 साल की सजा सुनाई गई, लेकिन मार्च,1931 में गांधी इरविन समझौते के तहत रिहा कर दिया गया । 1925 में सभा ने राज्य में उत्तरदायी सरकार के लिए एक आन्दोलन शुरू किया जिसका अर्थ है कि महाराजा द्वारा समग्र शासन के तहत विधायी और प्रशासनिक निकायों में प्रतिनिधित्व और जोधपुर राज्य के प्रधान मंत्री को हटा दिया गया । व्यास पर मुकदमा चलाया गया 1 आखिरकार व्यास भी अपने सहयोगियों के साथ राज्य में कैद और निर्वासित हो गये । 1932 में मारवाड़ हितकारिणी सभा को गैरकानूनी घोषित कर दिया गया था 1 एक अवधि थी जब जोधपुर में उनके प्रवेश पर जोधपुर राज्य द्वारा प्रतिबंध लगा दिया । 1937 में राज्य सरकार द्वारा गैरकानूनी घोषित किया गया । देशभक्ति के गीतों और कविता के माध्यम से खादी के उपयोग और विदेशी वस्तुओं के बहिष्कार का प्रचार किया । 1940 में व्यास और उनके साथियों को कैद और नजरबंद कर दिया गया । जून, 1940 में एक समझौता होने पर उन्हें छोड़ दिया गया । |
प्रकाशन |
मारवाड़ में जागृति और उसे रोकने के उद्धोग (1925) पोपा बाई री पोल (1929) पुस्तक 1 वर्ष 1936 में जागीरदारों की मांग के कारण किसानों की स्थिति के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए 'आगिवान' अखबार शुरू किया । 'अखण्ड भारत' 'पीप' 'लोक राज' और 'तरूण राजस्थान' जैसे कई अन्य प्रकाशनों के माध्यम से औपनिवेशिक दमनकारी नीतियों के खिलाफ लोगों को एकजुट किया । राजस्थानी आन्दोलन पर एक छोटी पुस्तिका भी लिखी 1944 में प्रकाशित की जब जन आन्दोलन और किसान विद्राेह चरम पर थे । |
विशेष अभिरुचि |
एक कविता- देश जाति की उन्नति करना हो अगर, पहले नारी को शिक्षित बनाना पड़ेगा, गृहस्थाश्रम की गाड़ी चलाना है, तो दोनों पहियों को बराबर कराना पड़ेगा, कन्या पाठशालायें होगी खोलनी, पुस्तकों का प्रबन्ध कराना पड़ेगा । |
सामाजिक कार्यकलाप |
द्वितीय विश्व युद्ध में मित्र राष्ट्रों की सहायता के लिए जोधपुर राज्य के प्रयासों में हस्तक्षेप नहीं करने पर सहमति व्यक्त की । व्यास को जुलाई,1940 में इसका अध्यक्ष चुना गया था । |
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