बलदेव ढाका
संदर्भ व्यक्ति, Cbeo सुजाननगढ़
पिता - चंद्राराम जी
माता - कंवरी देवी
जन्म तिथि 12 अगस्त 1969
जन्म स्थान नोरंगसर
विवाह तिथि 5 जून 1988
पत्नी - श्रीमती विमला देवी
संतान
1- कमल (बी एससी बी एड)
2- कु कोमल ढाका (अधिस्नातक राजनीति विज्ञान राजस्थान यूनिवर्सिटी केम्पस गोल्ड मेडलिस्ट कक्षा 12 में जिला टॉपर)
3 - कुलदीप ढाका (बी सी ए) & चूरू जॉन की सेकिंड ग्रेड टीचर्स की कॉन्सलिंग के लिए बधाई संदेश बनाने वाला सॉफ्टवेयर इंजीनियर
शिक्षा
बी ए वीद संस्कृत साहित्य, अंग्रेजी साहित्य और दर्शन शास्त्र
एम ए हिंदी साहित्य, अंग्रेजी साहित्य और दर्शन शास्त्र
व्यावसायिक डिग्री - बी एड
शिक्षक सेवा का प्रारम्भ 10 फरवरी 1990
राजपत्रित अधिकारी के पद पर 2016 से
स्कूल्स जहां कार्य किया
1 - रा संस्कृत प्राथमिक विद्यालय लुहारा त्यागपत्र दे दिया।
2 - रा मा विद्यालय क़ानूता 3 साल
3 - रा उ मा विद्यालय भीमसर 3 साक
4 - रा पीसीबी सुजानगढ़ 18 साल
5 - रा मा विद्यालय नोरंगसर 2 साल
6 - रा उ मा विद्यालय सिरोठिया 4 माह
7 - रा उ मा विद्यालय छापर 2 साल
8 - रा उ मा विद्यालय मलसीसर 8 माह
9 - मुख्य ब्लॉक शिक्षा अधिकारी कार्यालय रनिंग
विशेष
1 - 20 जीबी ई कंटेंट तैयार करने वाले राजस्थान के प्रथम राजकीय सेवा में सेवारत शिक्षक , दो जिला कलेक्टरों द्वारा इस कार्य के लिए सम्मानित
2 - शिक्षा एवं अन्य कार्यो के लिए जिला स्तर पर सम्मानित
3 - " नयन" पत्रिका के प्रधान संपादक का कार्य
4 - दो ब्लॉकों के नोडल अधिकारी का कार्य
5 - पीसीबी स्कूल की डायमंड जुबली पर आयोजन सचिव का कार्य
6 - लेखन एवं वादन में कुशल
साथियों! जब मुझे अपने बारे में ही बताना है तो क्यो न एक अलग अंदाज में मैं अपने जन्म से लेकर अब तक के सफर को आपके समक्ष प्रस्तुत करूँ। मेरा जन्म सालासर के पास के एक छोटे से गांव नोरंगसर में भादवा की शुक्ल पक्ष की चौदस को 1969 में हुआ। 5भाई और 5 बहनों के बड़े परिवार में बड़े भैया ही मात्र फ़ौज में कमाने वाले थे। जब ब्रेन ट्यूमर के कारण सब कुछ होम देने के बाद भी मेरे पिता स्व चंद्राराम जी अपने पुत्र बंशीलाल को नही बचा पाए तो वे इस सदमे से बुरी तरह टूट गए और जब मैं 4 साल का था उस समय वे भी हमे छोड़कर परमात्मा की शरण मे चले गए। 5 वीं तक की शिक्षा मेरे अपने गांव में सम्पन्न हुई और कक्षा 6 के लिए मुझे सालासर के सेकेण्डरी स्कूल में पढ़ने का मौका मिला और हम 35 से 40 बच्चो का झुंड गांव से लगभग 9 किमी दूर अपने सालासर स्कूल में पंख लगे पक्षियों की तरह 45 मिनिट में बिना थके पहुंच जाया करते थे। मुझे यह बताते हुए खुशी है कि मैं पढ़ाई में सदा अव्वल ही रहा।सेकेंडरी और हायर सेकेंडरी में मैं स्कूल टॉपर रहा |
अंग्रेजी, संस्कृत और दर्शन शास्त्र में स्नातक की डिग्री के साथ हिंदी, अंग्रेजी और दर्शन शास्त्र में अधिस्नातक की डिग्री भी हासिल की । व्यावसायिक प्रशिक्षण में मैंने बी एड और BSTC दोनो प्रशिक्षण पाए |
10 फरवरी 1990 में राजस्थान सरकार के संस्कृत शिक्षा विभाग में राजकीय संस्कृत प्राथमिक विद्यालय लुहारा में मुझे अध्यापक पद पर मुझे नियुक्ति मिली जहां से जुलाई 1991 में मैंने रिजाइन किया और माध्यमिक शिक्षा में रा माध्यमिक विद्यालय क़ानूता में शिक्षक के रूप में कार्य किया। 1993 में स्थानांतरित हो कर सेकेंडरी स्कूल भीमसर आ गया और 1996 में ईश्वर ने अनायास ही मुझे ब्लॉक के सबसे प्रतिष्ठित पीसीबी सीनियर स्कूल में स्थानांतरित किया और यहां मैंने लगातार 13 वर्षो तक जमकर काम किया।