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Welcome Vishnu Dadhich Astrologer, Sujangarh (Churu)

Vishnu Dadhich Astrologer, Sujangarh

हमारे बालाजी ज्योतिष कार्यालय, सुजानगढ़ में कुण्डली बनाई जाती है। तथा कुण्डली से सम्बन्धित होने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए ज्योतिष से सम्बन्धि सभी प्रकार की समस्याओं का समाधान किया जाता है।

About Us

राशिफल वस्तुतः पुरातन ज्योतिष शास्त्र की वह विधा है, जिसके माध्यम से विभिन्न काल-खण्डों के बारे में भविष्यवाणी की जाती है। जहाँ दैनिक राशिफल रोज़मर्रा की घटनाओं को लेकर भविष्यकथन करता है, वहीं साप्ताहिक, मासिक तथा वार्षिक राशिफल में क्रमशः हफ़्ते, महीने और साल के फलादेश किए जाते हैं। वैदिक ज्योतिष में 12 राशियों–मेष, वृषभ, मिथुन, सिंह, कर्क, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुम्भ व मीन–के लिए ये सभी भविष्यकथन किए जाते हैं। ठीक इसी तरह 27 नक्षत्रों के लिए भी भविष्यवाणियाँ की जा सकती हैं। हर राशि के अपने-अपने स्वभाव और गुण-धर्म होते हैं, अतः प्रतिदिन ग्रहों की स्थिति के अनुसार उनसे जुड़े जातकों के जीवन में घटित होने वाली स्थितियाँ भिन्न-भिन्न होती हैं। यही कारण है कि हर राशि का राशिफल अलग-अलग होता है।

मेष (चू, चे, चो, ला, ली, लू, ले, लो, आ) -

मेष, राशियों में प्रथम राशि है। जिसका स्वामी मंगल व तत्व अग्नि है। मेष राशि वाले अच्छे वक्ता व उनका चरित्र साफ सुथरा व आदर्शवादी होते है। साहसी व मित्रों के साथ दयालु एवं किसी के दबाव में कार्य करना पसन्द नहीं करते। तथा उनको क्रोध थोड़ा जल्दी आ जाता है।

 

वृषभ (इ, उ, ए, ओ, बा, बि, बु, बे, बो) -

वृषभ, राशि चक्र में दूसरे नम्बर की राशि है। जिसका स्वामी ग्रह शुकदेव होते है। ओर यह भूमि तत्त्व है। वृषभ राशि का प्रतीक चिन्ह् बैल होता है। जिसके अनुसार यह राशि वाले परिश्रमी, मेहनती होते है व जब इनका कोई कार्य नही होता है तब इनमे आलस जल्दी आ जाता है। भूमि तत्त्व होने के कारण अपना मन व काम जल्दी नहीं बदलते है। वृषभ राशि ग्रह शुक्र है वह यह ग्रह का रंग सफेद होने के कारण इनका मन साफ होता है।

  

मिथुन (का, की, कू, घ, ड़, छ, के, को, हा) - 

मिथुन, राशिचक्र में तीन नम्बर पर विराजमान है। मिथुन राशि का स्वामी बुधग्रह है। यह राशि वायु तत्त्व है। मिथुन राशि के जातक का वायुतत्त्व होने के कारण मन जल्दी परिवर्तित होता है, संगीत व इतिहास प्रेमी, भुलक्कड़ स्वभाव, बुध ग्रह होने के कारण बातों में भी कलाकार होते है। मधुरभाषी व विविध विसियों में रूचि रखते है।

 

 
कर्क (ही, हू, हे, हो, डा, डी, डू, डे, डो) -

कर्क, राशिचक्र में चार नम्बर पर विराजमान है। इस राशि का स्वामीग्रह चन्द्र है। राशि चिन्ह् केकड़ा व जलतत्त्व राशि है। इस राशि के जातक एक विचार के द्रढ़ रहते है व इनके मन में जो आ जाता है उसे पकड़े रहते है। भावुक स्वभाव के भी होते है। ज्यादा घुलने मिलने में भी आदत नहीं होती। इनको कुछ ना कुछ नया करने की धुन लगी रहती है। अपनी स्थिति से कभी सन्तुष्ट नहीं होते। केवल निराश जल्दी हो जाते है। इनके विचार कोई डिगा नही सकता।

  

सिंह (मा, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे) - 

सिंह, राशिचक्र में पांच नम्बर की राशि है। सिंह राशि का स्वामीग्रह सूर्यदेव है तथा यह अग्नि तत्त्वन की राशि है। राशि का चिन्ह् शंेर है। इस राशि वाले जातक शेर की तरह लीडरशिप की गुणवता रखते है। आत्मविश्वास भी भरपूर होता है। यह जातक हर जगह प्रमुख बनना चाहते है व योजनबद्ध धैर्यपूर्वक कार्य ज्यादा करते है। किसी के नीचे काम नही करना चाहते। सिंह राशि वाले को क्रोध आता नहीं परन्तु आता है तो बहुत ज्यादा यानि भूकम्प आता है। सत्यवादी, कला-साहित्य प्रेमी, जिद्दी, हंसमुख व आकर्षक व्यक्त्वि होता है।

     

कन्या (प, ठ, ण, टो, पि) - 

कन्या, राशियों में छः नम्बर पर विराजमान है। कन्या राशि का स्वामीग्रह बुध है। कन्या राशि का तत्त्व भूमि है तथा इस राशि का चिन्ह् लड़की के हाथ में पेड़ की डाली है। इस राशि के जातक शांत स्वभाव के होते है। व थोड़ा शर्मिले भी होते है। ओर साथ में इन की यादास्त भी बहुत तेज होती है। बुधग्रह होने के कारण थोड़ा बाते करने में अच्छे व सेवाभावी होते है। साथ में यह जातक अपना मान-सम्मान अपनी प्रतिष्ठा पर भी ज्यादा ध्यान देते है, ओर मित्रों का चुनाव भी बड़े सोच समझकर करते है। साथ में सजक व सतर्क रहते है। अनेक विधाओं के जानकार, बुद्धिमानी, साथ में यह जातक धर्म, विज्ञान तथा गणित में भी रूचि रखने वाले होते है। कन्या राशि भूमि तत्त्व होने के कारण जब भी कोई कार्य करते है तो मन को बदलते नही है।

    

तुला (र, रि, रू, रे, रो, ता, ति, तु, त) -

तुला, राशिचक्र में सातवें नम्बर पर विराजमान है। इस राशि का स्वामी शुक्रदेव है ओर इसका तत्त्व वायु व चर राशि है। इसका प्रतीक चिन्ह् पुरूष के हाथ में तराजू है। यह जातक तराजू की तरह नाप तोल के तन की कसौटी पर बड़े कस के बोलते है। काफी सन्तुलित रहते या सन्तुलित रहने की चेस्टा करते है। लेकिन वायु तत्त्व होने के कारण यह जातक कभी कभी असन्तुलित हो जाते है। इस राशि का स्वामी शुक्र होने के कारण यह जातक दिखने में आकर्षण होते है व अपने मित्रों मे काफी लोकप्रिय होते है। यह जातक विवादों से दूर रहते है व हमेशा सच्चाई का साथ देते है। राजनीतिज्ञ, बुद्धिमान व प्रत्येक कार्य को अपने बलबुते पर करने वाले होते है।

    

वृश्चिक (तो, ना, नी, नू, ने, नो, या, यी, यू) -

वृश्चिक, राशिचक्र में आठ नम्बर पर विराजमान है व इस राशि का स्वामीग्रह मंगल है एवं जल तत्त्व की राशि है। इस राशि का प्रतीक चिन्ह् बिच्छु होता है। मंगलग्रह होने के कारण इस राशि के जातकों में ऊर्जा बहुत होती है इसलिये यह कोई भी कार्य करते है तब पूरे आत्त्मविश्वास से करते है ओर पूरा करते है। कम बोलते है पर ठोस बोलते है। इनसे नकारात्त्मक बात करने से यह जल्दी नाराज हो जाते है। यह जातक जिओ ओर जीने दो के नारे पर चलते है। यह जातक किसी का ऐहसान या मदद लेना पसन्द नहीं करते है। ओर किसी के सामने जल्दी झुकते भी नहीं है। इस राशि के जातक जिद्दी भी ज्यादा होते है।

  

धनु (ये, यो, भा, भी, भू, धा, फा, ढा, भे) -

धनु, राशिचक्र में नो नम्बर पर विराजमान है। इस राशि का स्वामीग्रह ब्रहस्पत्ति है यह अग्नि तत्त्व की राशि है। इस राशि का प्रतीक चिन्ह् मानव अंग है जिसके हाथ में तीर धनुष है। धनु राशि के जातक अपने लक्ष्यों को साध के रखते है। धीरे-धीरे अपने कार्य की तरफ बढ़ते रहते है। अतिविस्वाषी होतो है। दिव स्वभाव होने के कारण मन में विचार परिवर्तन होते रहते है। ओर अग्नि तत्त्व होने के कारण कभी कभी क्रोधि हो जाते है। ऊर्जा से भी भरे रहते है तथा इनका ग्रह बृहस्पत्ति होने के कारण बुद्धिमान व बोलने में भी अच्छे होते है। अपनी बाते वहीं बोलेंगे जहाँ इनको बोलना चाहिए। यह जातक इस्पष्टवादी होते है, छल कपट से भी दूर रहते है। 

   

मकर (भो, जा, जी, खी, खू, खे, खो, गा, गी) -

मकर, राशिचक्र में दस नम्बर पर विराजमान है इस राशि का स्वामी शनिग्रह है। यह भूमि तत्त्व की राशि है इसका प्रतीक चिन्ह् बकरा है। यह चर राशि होने के कारण इनके मन में विचार निरन्तर चलते रहते है तथा शनिग्रह होने के कारण इन जातको को मेहन्त काफी ज्यादा करनी पड़ती है। शनिग्रह की गति धीमा होने के साथ यह जातक काम को धीरे धीरे निरन्तर चलाये रखते है। मकर राशि के जातकों को पैसे से ज्यादा मान-सम्मान का ज्यादा प्रेम होता है। कहि इनको मान-सम्मान नहीं मिलता है तो क्रोधित भी हो जाते है। यह जातक किसी न किसी तरीके से अपना काम कर ही लेते है।  

   

कुम्भ (गू, गे, गो, सा, सी, सू, से, सो, दा) -

कुम्भ, राशिचक्र में ग्याहरवें नम्बर की राशि है। इस राशि का स्वामी शनिग्रह है यह राशि वायु तत्त्व है इसका प्रतीक चिन्ह् आदमी के हाथ पानी से भरा एक घड़ा होता है। कुम्भ राशि के जातकों में कुछ ना कुछ देने की प्रवृत्ति होती है। ये ज्ञान व प्रतिभा से भरे होते है। समस्या आने पर सोच समझकर निर्णय लेते है। जल्दीबाजी भी यह जातक नही करते। यह स्थर राशि होने के कारण इनकी मित्रता भी दीर्घकालीन होती है, कभी कभी इनमें अचानक इतना परिवर्तन आ जाता है कि यह आश्चर्य में पड़ जाते है। वायु तत्त्व होने के कारण इनको नये नये भी विचार आते है। कुम्भ राशि शुदारक राशि है इसलिये इनमें समाज परिवार में भला करने की इच्छा भी काफी रहती है। 

  

मीन (दी, दू, थ, झ, ञ, दे, दो, चा, ची) -

मीन, राशिचक्र में बारहवे नम्बर पर विराजमान है। इस राशि का स्वामीग्रह ब्रहस्पत्ति देव है। इसका राशि तत्त्व जल है। मीन का राशि चिन्ह् दो मछलियां है। प्रतीक चिन्ह् मछलियां के मुँह में एक दूसरे के विपरीत के कारण इनके दिमाक के विचारों में भी विरोधाभाष बना रहता है। इसलिये यह जातक निर्णय लेने में देरी करते है। ओर इनका माहौल अच्छा होगा तो यह खुश रहेंगे ओर खराब हुआ तो इनको बैचेनी होने लगती है। जल तत्त्व होने के कारण दूसरे के प्रभाव में भी जल्दी आ जाते है। ओर भावुक भी जल्दी हो जाते है, इमोशनल या ममता भी बढ़ जाती है। यह दूसरों की सहायता करने में भी बड़े तत्त्पर रहते है। इनका थोड़ा भी विरोध होता है तो इनका दिल भी जल्दी टूट जाता है। इनक राशि स्वामी देव गुरू बृहस्पत्ति होने के साथ यह जातक बुद्धिमान भी ज्यादा होते है और परिश्रमी, कुलदीपक, माता - पिता व देवताओं के भक्त व स्वतंत्र विचारक होते है। 

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