कर्नल नंदकिशोर ढ़ाका के बारे में....
कर्नल नन्दकिशोर ढ़ाका का जन्म् 12 मई 1970 को मरूधरा आँचल की डीडवाना तहसील के थेबडी ग्राम मे एक साधारण तपोनिष्ठ वेदान्ती किसान नारायण जी ढ़ाका के घर हुआ आपकी माताजी पूजनीय गलकूू देवी जी सरल हृदय व भगवत् प्रेमी गृहणी है। आपका विवाह मात्र 10 वर्ष की अल्पायु मे ही आखातीज के दिन श्रीमती सुन्दर ढाका के साथ हुआ। बालक नन्दकिशोर ने किसान के घर जन्म लिया। खेत - खलियानों मे पला-बढ़ा तथा प्राथमिक शिक्षा गांव से तथा माध्यमिक शिक्षा मौलासर से प्राप्त की। आपके नानाजी स्व. रामुरामजी भाकर आजादी के समय भारतीय सेना के स्वतन्त्रता सैनानी थें तथा सेनानिवृति के पश्चात् जागीरदारी प्रथा के उन्मूलन व सामाजिक चेतना के अग्रदूत थें। आपके प्रभावशाली व्यक्तित्व, नेतृत्व क्षमता, जुझारूपन का प्रभाव बालक नन्द किशोर पर पड़ा। तथा नन्दकिशोर मे राष्ट्र भक्ति देश प्रेम हिलोरें लेने लगा, इसी सोच के साथ छात्र नन्दकिशोर ने मैट्रिक पास करते ही 07 जनवरी 1988 को भारतीय सेना मे शामिल होने का सौभाग्य मिला। सेना की बेसिक ट्रेनिंग के दौरान उंमग और जोश से लबरेज इस नवयुवक ने भारतीय सेना के अफसरों के ठाठ-बाट, उनका रूतबा, उनकी जीवन शैली, सैन्य नेतृत्व देखकर रंगरूट नन्दकिशोर ने सैन्य अधिकारी बनने की मन मे ठान ली तत्पश्चात् क्वार्टर गार्ड जैसी कठिन ड्यूटी करते हुये पूर्ण समर्पण, कठोर मेहनत व निष्ठा के साथ ACC Exam व SSB इंटरव्यू की तैयारी की तथा चार साल के अथक प्रयास के उपरान्त 1994 मे भारतीय सेना मे कमिशन प्राप्त किया। इस प्रकार सिपाही नन्दकिशोर अब 1st Class गजिटेड आॅफिसर लेफ्टिनेट नन्दकिशोर बने। वक्त ने रफ्तार पकड़ी प्रबल इच्छाशक्ति, अनुशासित, जीवन, दूरदृष्टि और उच्च नेतृत्व क्षमता के कारण समय-समय पर प्रमोशनन होते गये तथा कर्नल रैंक तक का सफर किया पर विचारों के उद्वेग और अपनी मायड़ माटी के प्रति प्रेम के कारण कर्नल ढाका के मन मे एक विचार कौंधा कि मैं कर्नल होकर इस राजसी ठाठ-बाठ जीवन जीकर क्या करूंगा जहां मेरे गांवो मे शिक्षा व सामाजिक, राजनीतिक व्यवस्था के हालात तो पहले जैसे ही है। अतः 26 वर्ष की सैन्य सेवा के बाद 02 जुलाई 2013 को कर्नल ढ़ाका ने भारतीय सेना से स्वैच्छिक सेनानिवृति ले ली। सेनानिवृती के पश्चात् पूरे राजस्थान मे बच्चों के लिए केरियर गाइडेंस सेमिनारों का आयोजन करवाया उन्हे ‘‘मोटीवेशनल लेक्चर्स’’ दिये पर इतने से मारवाड़ का यह जाट युवक कहां चुप बैठता सतारूढ़ कांग्रेस पार्टी द्वारा एक के बाद एक घोटाले, भ्रष्टाचार को देखकर कर्नल ढाका ने अब व्यवस्था परिवर्तन के लिए राजनीति मे प्रवेश किया तथा 12 नवम्बर 2013 को भारतीय जनता पार्टी की तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष श्रीमती वसुन्धरा राजे के समक्ष डीडवाना से भाजपा की सदस्यता ग्रहण की तथा विधानसभा व लोकसभा चुनावों मे भाजपा प्रत्याशियों को विजयी बनाया। कर्नल ढ़ाका की सामाजिक व धार्मिक सेवा कार्यो मे जबरदस्त रूचि है। आप समय-समय पर तेजा गायनों, सामाजिक-धार्मिक आयोजनों, कवि - सम्मेलनों, खेल - कूद प्रतियोगिता करवाते रहते है तथा सामाजिक कुरीतियों, जातिवाद, अस्पृश्यता, अंधविश्वास के घोर विरोधी है। सादा जीवन उच्च विचार के धनी कर्नल साहब सेठ छाजूरामजी की तरह अच्छे दानवीर है तथा शिक्षा व सामाजिक कार्यो मे लाखो रूपये दान दे चुके है आप गरीबो के गुलाब है। मुक्कदस किताब है, हिन्द के ख्वाब है पिछड़ों की खुशियों के पैगाम है, शोषण के विरूद्व तेजाब है तथा युवाओं के आदर्श है। आप भूतपूर्व सैनिकों व शहीदों के सम्मान मे तथा किसानों की जागृति के लिए विशाल रैलियों का आयोजन करवाते रहते है। सदा वयस्त रहना ही आपका सबसे बड़ा शौक है। कर्नल ढाका ने युवाओं को भारतीय सेना मे भर्ती करवाने के लिए शिक्षा नगरी कुचामन सीटी मे 2014 मे कर्नल डिफेंस एकेडमी की शुरूआत की जहां से सैकड़ो बच्चे प्रतिवर्ष तैयारी करके भारतीय सेना की तीनों विंग नैवी, आर्मी, एयरफोर्स जाते है तथा आपका सपना भारतीय सेना को कई सैन्य अधिकारी देने का है। जिसके लिए आप NDA व SSB इंटरव्यू की तैयारियां करवाते है। आपकी प्रेरणा से आपके कार्यकाल के दौरान जवानों को सैन्य अधिकारी बनाने के लिये प्रशिक्षण दिया जिसके फलस्वरूप नौ जवान भारतीय सेना के अफसर बने। वर्ष 2017 मे आपने कर्नल सांइन्स स्कूल की स्थापना की जहां से छात्र प्रतिवर्ष गुणवता पूर्ण शिक्षा प्राप्त कर नई ऊचाईयों को छूयेगें। आपके एक पुत्र नवलकिशोर ढ़ाका है। जिनका हाल ही मे भारतीय सेना मे लेफ्टिनेंट के लिए चयन हुआ है तथा आपकी सुपुत्री नैना ढ़ाका ने 11वीं कक्षा उर्तीण की है। और इण्डिया बेडमिन्टन मे शामिल है जिन्होनें विदेशी धरती पर भी हिन्दुस्तान का प्रचम लहराया। कर्नल ढ़ाका पूर्व सैनिक होने के नाते एक ईमानदार, शिक्षित, मेहनीत, व्यवहार कुशल, मिलनसार व्यक्तित्व के धनी हैं। आपने वर्ष 2011 मे सिविल मिलिट्री लाइजन काॅन्फ्रेंस का आयोजन करवाया जिसमे प्रदेश की नामचीन हस्तियों के साथ राजस्थान के तत्कालीन माननीय मुख्यमंत्री मुख्य अतिथि थे। आपके जज्बातों को देखकर कुछ प्राण वाण पक्तियां लिख रहा हूँ। ‘‘सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल मे है देखना है जोर कितना बाजुऐं कातिल मे है’’ कुछ कर गुजरने का जज्बा नेक दिल मे हैं। तेरी हिम्मत की चर्चा गैरों की महफिल मे है। वक्त आने पर बता देगें ऐ आसमां अभी भी हम क्या बताऐं क्या हमारे दिल मे हैं।