सनातन सेना गठन का विचार
अनंतकाल से सम्पूर्ण पृथ्वी पर चलता आ रहा सनातन धर्म इतना सिकुड़ कैसे गया? ये एक बड़ा ही कड़वा प्रश्न मन मे चलता रहता है। इस समस्या की समीक्षा करने पर यह कारण समझ मे आया कि हिन्दू आपस मे बिखरा तब भारत सहित सनातन भी खण्डित हुआ साथ ही प्रारम्भ से ही यह बात भी मन-मानस को झकझरोरती रही कि आखिर सनातन और संविधान के मध्य अन्तर्द्वन्द की चर्चाएं क्यों होती हैं?
संविधान की रक्षा की शपथ लेने वाले सनातन के प्रति उदार क्यों नही रह पाते हैं। जब सनातन और संविधान दोनों का तुलनात्मक अध्ययन किया तो पता चला कि मात्र राजनैतिक स्वार्थों पूर्ति के लिये किस प्रकार से भारतीय प्रजातांत्रिक व्यवस्था और सनातन दोनों की ही जड़ो मे जहर डाला जा रहा हैं। संविधान को सनातन विरोधी तथा सनातन को संविधान विरोधी बताने वाली विचारधारा को जिस प्रकार से पोषित किया जा राह है और हिन्दुओं के मन मस्तिक मे जातिवाद का जहर डाला जा रहा है उससे संविधान और सनातन दोनो को खतरा है। इस संक्रमण काल के आसुरी संक्रमण से निराकरण के लिये एक ऐसे सामूहिक विचार केा प्रस्फुटन और वृहद अंकुरण आवश्यक महसूस हुआ जो संवैधानिक अधिकारों, उपचारों तथा व्यवस्थाओं के साथ साथ श्रेष्ठ सनातनी परम्पराओं की स्थापना, संवर्धन तथा संरक्षण कर श्रेष्ठ भारत, एक भारत, विश्व गुरू भारत व अखण्ड भारत की संकल्पना साकार कर सकें।
इसी निमित श्रावण मास संवत 2081 मे युवा साधकों के साथ पवित्र अनुष्ठान के अन्तर्गत मन मंथन से भारत की स्वतंत्रता के 78वें महापर्व 15 अगस्त 2024 को आदिदेव भगवान शिव के आशीर्वाद से तिरंगे व भगवा ध्वज के नीचे सनातन सेना गठन के विचार का जन्म् हुआ और दृढ़ संकल्प लिया गया कि आगामी एक वर्ष मे 11000 सनातन सैनिक राष्ट्र उत्थान के लिए तैयार करने हैं।
जिस प्रकार एक विशाल वटवृक्ष के निर्माण की यात्रा राई जितने बीज से शुरूआती है उसी प्रकार सनातन सेना के गठन तथा संवर्धन के लिये सर्वप्रथम देवभूमि, तपोभूमि तथा देश की सीमाओं की सुरक्षा के लिये सर्वाधिक सैनिक प्रदान करने वाली सैन्यभूमि ‘शेखावाटी’ के नगर, कस्बों और गाँवों से प्रारम्भ कर विचारों के आदान प्रदान हेतु तथा संवैधानिक व्यवस्थाओं से सनातन के प्रगाढ सम्बन्ध स्थापति करने हेतु एक दीर्घ स्तरीय समरस सनातन यात्रा का आयोजन होना तय हुआ हैं।
भगवान श्री कृष्ण ने जिस एकादशी के दिन अर्जुन को कर्मयोग का ज्ञान देकर सच्चे धर्म का मर्म बताया था उसी गीता जयंती 11 दिसम्बर 2024 को यह यात्रा सेना के अधिष्ठाता श्री बालाजी महाराज की पावन भूमि श्री सालासर धाम से प्रारम्भ कर सम्पूर्ण शेखावाटी मे जनदर्शन करने हेतु आरम्भ होगी। जिसके कर्मफल के रूप मे हमें युवा तरूणाई एवं अनुभवी बन्धुओ का ऐसा संगठन तैयार करना है। जो राशन से लेकर राम तक. ई मित्र से लेकर ईश्वरीय चरित्र तक, सनातन से लेकर संविधान तक और अपने घर से लेकर अखिल हिन्ुदस्तान तक सकारात्मक विचार एवं व्यवहार रखें।
इसी ध्येय को ध्यान मे रखते हुए कि हिन्दू पुनः संगठित हों। इस लक्ष्य को पाने के इस महाअभियान मे आपके पूर्ण समर्पण व सहयोग की महति आवश्यकता हैं। अतः आपश्री से विनम्र आग्रह है कि सनातन धर्म से संकल्पित इस कार्य मे अपनी सक्रिय भूमिका निभाने हेतु तत्पर रहें
सनातन सेना के उद्देश्य
1. सनातन धर्म को विश्व पटल पर गुरू धर्म के रूप मे एवं भारतीय संस्कृति को श्रेष्ठ संस्कृति के रूप मे पुनर्स्थापित करने हेतु चरित्रवान युवाओं का निर्माण करना।
2. संवैधानिक व्यवस्थाओं मे अटल विश्वास रखते हुए समरसता पूर्ण व्यवहार के साथ राष्ट्र के संप्रभु और प्रजातांत्रिक स्वरूप को अक्षुण्ण बनाए रखना।
3. धरती माता को हरा भरा बनाए रखने हेतु प्रत्येक व्यक्ति द्वारा कम से कम अपने हिस्से की ऑक्सीजन, लकड़ी तथा अन्य आवश्यकताओं के समानुपात मे वृक्षारोपण हेतु प्रेरित एवं प्रवृत्त करना।
4. सनातन सेना के विभिन्न समरसता केन्द्र स्थापित कर भारत की नागरिकता के नाते मिलने वाली सुविधाओं, सरकारी योजनाओं तथा दस्तावेजों के निर्माण, सत्यापन तथा अद्यतन करने मे सहायता करना।
5. सामाजिक सहयोग एवं वैचारिक सामञजस्य के साथ ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्र के विभिन्न देवालयों मे पुस्तकालय स्थापति कर युवाओं को प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु प्रेरित करना तथा जरूरतमंदो को पठन-पाठन सामग्री की उपलब्धता सुनिश्चित करना।
6. गुलामी के संक्रामक काल मे सनातन मे आई कतिपय विदुपताओं को दूर करते हुए सनातन से सम्पन्न एक समरस समाज की दिशा मे अनवरत बढ़ना।
7. ऐसे वृहद् और चैतन्यमूलक समाज की स्थापना का प्रयास करना जो सामाजिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक रूप से सुदृढ़ और सबल हो जो सनातन और संविधान दोनो का सम्मान करें।
8. गोमाता को सनातन के साथ साथ संविधान की भी धरोहर बनाकर ‘राष्ट्रमाता’ का दर्जा दिलवाकर गौहत्या पर पूर्ण प्रतिबंध लगवाना, सदैव गौसेवा के प्रति कृत संकल्पित होकर उसके संरक्षण, पालन तथा संवर्धन हेतु प्रयास करना।
9. ऐसे संस्कारित, उर्जावान व सशक्त युवाओं का सृजन करना जो सनातन की सुदृढ़ता एवं सुरक्षा हेतु निरन्तर लीन एव रत रहे। ऐसे अस्पृश्यता, भेदभाव व निम्न सोच से मुक्त अंसख्य अनातनी युवाओं का निर्माण करना जो -
संगच्छद्ध! संवदद्वं!!
सं वो मानासी जानताम्!!! के श्रेष्ठ विचार को साकार करने के पुनीत पथ पर अग्रगामी हों।
10. भारत को विश्व का श्रेष्ठ आध्यात्मिक एवं वैचारिक केन्द्र बनाना तथा इसके लिये वैश्विक संचार माध्यम जैसे इंटरनेट, सोशल मीडिया एवं अन्य आधुनिक संचार साधनो के सकारात्मक उपयोग से राष्ट्र एवं धर्म दोनो की सेवा करते हुए वैचारिकता एवं बौद्धकता मे निरंतर वृद्धि करने हेतु प्रेरित करना।
11. सनातन सहकारिता के भाव के साथ रोजगार के अवसर एवं आपसी मेलजोल एवं चर्चाओं से स्व रोजगार के विभिन्न ऐसे क्षेत्र विकसित करना जो रोजगार, राष्ट्रसेवा एवं सांस्कृति उन्नयन तीनो को साधते हुए हमारे परिवारों को रोजगार एवं आर्थिक संबल प्रदान कर सकें।