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Shri Chaturdasji Maharaj, Butati Dham (Nagaur)

Welcome Shri Chaturdasji Maharaj, Butati Dham (Nagaur)

भारतवर्ष में राजस्थान प्रान्त में नागौर जिले के डेगाना तहसील स्थित बूटाटी गांव में प्रसिद्ध संत श्री चतुरदासजी महाराज का मंदिर है। इस मंदिर की प्रसिद्धि के चलते बूटाटी गांव आज बूटाटी धाम के नाम से जाना जाता है। संत श्री चतुरदासजी महाराज के मंदिर में परिक्रमा लगाना लकवे की बीमारी का रामबाण इलाज है। जिससे बड़े - बड़े डॉक्टर भी हैरान है कि जो मरीज कई दिनों तक डॉक्टरों से परामर्ष लेने के बाद भी ठीक नहीं होते वह यहां फेरी लगाने से ठीक हो जाते है। मन्दिर संत की समाधि पर बना हुआ है। इसके पास सत्ती माताजी का मंदिर व संत का धुणा भी स्थित है। जब श्रद्धालु संत की समाधि पर मत्था टेककर परिक्रमा (फेरी) लगाता है उस समय माताजी मंदिर व संत धुणा बीच में आते है। धूणे पर श्रद्धालु नारियल चढ़ाते है और वहां से रोगी के लिए भगुति लेते है। श्रद्धालुओं के आवागमन बढ़ने के साथ मन्दिर की व्यवस्था को सूचारू चलाने के लिए एक कमेटी बनाई गई। 1977 से कमेटी बनाई गई। कमेटी के प्रथम अध्यक्ष अमरसिंह जी को बनाया गया। 

 
 
संत की समाधि व मन्दिर की मान्यता के बारे में जानकारी कुछ इस प्रकार से -
प्राप्त जानकारी के अनुसार संत श्री चतुरदासजी महाराज बूटाटी गांव के चारण से थे। यहां के लोगों की माने तो यह करीब 400 वर्ष पहले गांव में स्थित चारभूजा धाम में पूजा पाठ (भगवान की सेवा) का काम करते थे। मान्यता के अनुसार (दन्त्त कथा) उसी समय संत ने जीवित समाधि ली थी। जहां पर वर्तमान समय में मन्दिर है वहां समाधि स्थल पर चबुतरा बना हुआ था। जहां पर गांव के लोग अपनी मान्यता व आस्था से जाते थे। अब से करीब 50 वर्ष पहले बूटाटी गांव के ही सेठ जब्बरचन्दजी ने यहां पर समाधि स्थल पर 10 बाई 10 फीट की साइज का एक कमरा बनवाया। जिसमें संत के पगले लगाये गये, फिर यहां ग्रामीणों का आस्था केन्द्र बन गया।
 
 
 
तत्तकालिक सरपंच अमरसिंह व नवयुवकों ने किया प्रचार - प्रसार -
सन् 1977 में कुचेरा कस्बे के बाजार में एक बन्दर की करंट लगने से मृत्त्यू हो गई। तब वहां पर कुचेरावासियों ने करंट बालाजी के नाम से बालाजी के मन्दिर का निर्माण करवया और वहां पर जागरण का आयोजन करवाया। उस जागरण में बूटाटी के युवा गये हुये थे। उन्होने अपने गांव में जागरण व मेले के आयोजन की चर्चा की। 1978 में अमरसिंह जी सरपंच बने। सरपंच व उनके युवा साथी हस्तीमलजी श्रीश्रीमाल, सीतारामजी शर्मा, हुक्कमीचन्दजी जैन, लक्ष्मीनारायणजी शर्मा, रामजीवणजी जाट, सीतारामजी जाँगिड़, षिम्भूजी पूरी, रामनिवासजी जाँगिड़, बजरंगसिंह जी, रतनसिंह जी सहित नवयवुक मण्डल के साथियों ने मिलकर संत की समाधि पर जागरण के आयोजन को लेकर गांव से चंदा उगाकर रूपये इक्कठे किये। तथा आसपास के गांवों आयोजन का प्रचार - प्रसार किया। 
  

 
आयोजन की तिथि पौह धाम के संत के बताये अनुसार तय की गई -
बूटाटी धाम से 11 किमी. की दूरी पर स्थित पौह धाम के संत सुखरामदास जी से बूटाटी के नवयुवकों ने तत्तकालिक सरपंच अमरसिंह के साथ मिलकर जागरण के आयोजन की तिथि के बारे में पूछा कि महाराज हमे संत श्री चतुरदासजी महाराज की समाधि तिथि बगैरा पता नहीं है। तब संत सुखरामदाजी महाराज ने उनके बारे में बताया और ग्यारस के दिन जागरण का आयोजन तय किया गया। तब से लेकर अब तक कार्तिक सुद्धि ग्यारस को यहां जागरण व मेले का आयोजन किया जाता है। इसलिए यहां हर माह ग्यारस तिथि की बड़ी मान्यता है। कार्तिक सुद्धि ग्यारस की रात्रि में आयोजित होने वाले जागरण का शुभारम्भ पौह धाम के संत आकर भजनों के साथ करते है फिर रातभर किर्तन किये जाते है। 

 
 
फिर यूँ बढ़ने लगी बाबा की मान्यता व आस्था -
पहले गांव के लोगों की बाबा में आस्था के साथ साथ आसपास के गांवों में लोगों में आस्था बढ़ी। जब लकवे के रोगी ठीक होने लगे तो जानकारी मिलने पर दूर - दूर से श्रद्धालु आने लग गये। श्रद्धालुओं की आस्था के चलते यहां राजस्थान राज्य के अलावा देषभर से लकवे के रोगी आने लगे और बाबा की आस्था से ठीक होने लगे। लकवे से पीड़ित लोगों के लिए रामबाण की सी दवा का काम करने लग गया और श्रद्धालुओं का आवगमन बढ़ने लग गया। आज प्रतिदिन बाबा के हजारों श्रद्धालु फेरी लगाने आते है। सन् 2000 के आसपास यहां से यहां श्रद्धालुओं के रूकने की व्यवस्था सूचारू रूप चल रही है। सन् 2017 में अमेरिका की महिला श्रद्धालु भी यहां लकवे के इलाज के लिए आई और यहां से ठीक होकर लौटी।


मंदिर में पहली बार 1985 में आई लाइट -
मंदिर कमेटी के तत्त्कालिक अध्यक्ष के कार्यकाल में सन् 1985 में गांव जीएसएस बना और सर्वप्रथम मंदिर में लाइट की व्यवस्था की गई। करीब पांच साल बाद गांव में लाइट की सप्लाई शुरू हुई। उस समय कमेटी अध्यक्ष अमरसिंह जी ग्राम पंचायत बूटाटी के सरपंच भी थे।
 
 
चढ़ावा व उसका प्रयोग -
मन्दिर में चढ़ावे चढ़ाये जाने वाले नारियल धूणे में काम में लिए जाते है जिनसे बनी भगूति श्रद्धालुओं द्वारा लकवे के रोगी के लिए काम में ली जाती है। चढ़ावे पर आये हुए अनाज को गांव में संत के नाम से बनी गौशाला में गायों को खिलाने के काम में आता है। इनके अलावा आसपास की करीब 150 गौषालाओं में आवष्यकतानुसार उपलब्ध करवाया जाता है। आये हुए श्रद्धालु नारियल या प्रसाद चढ़ाकर धूणे की लौह से नाल की मौली निकालकर उससे तांती बांधी जाती है व धूणे की भगूति रोगी के लगाने के काम ली जाती है। 


मन्दिर कमेटी के प्रथम अध्यक्ष व ग्राम पंचायत बुटाटी के सरपंच रहे श्रीमान ठा.सा. अमरसिंह जी राठौड़ का जन्म 9 सितम्बर, 1952 को बूटाटी गांव में श्रीमान ठा.सा. हेमसिंह राठौड़ व श्रीमती सोहन कंवर के घर हुआ। राठौड़ ने दसवी तक शिक्षा प्राप्त की। सन् 1971 में पिता का देहान्त हो गया। और सन् 1974 में उनकी शादी हो गई। बूटाटी ग्राम वासियों ने उन्हें सन् 1977 में ग्राम पंचायत बूटाटी का सरपंच बना दिया। सन् 1977 से राठौड़ 20 वर्षों तक समिति के अध्यक्ष व 20 वर्षों तक सरपंच पद पर रहे। राठौड़ के अध्यक्ष पद पर रहते हुए उनकी देखरेख में मन्दिर का निर्माण कार्य भी करवाया। 

 

 यह जानकारी कमेटी के प्रथम अध्यक्ष अमरसिंह जी द्वारा उपलब्ध करवाई गई। यह सब जानकारी 7 जुलाई 2021 को अपडेट की गई है।

 
बाबा श्री चतुरदास जी महाराज की आरती
 
ऊँ जय चतुरदास हरे, स्वामी जय चतुरदास हरे।
संत कृपा समेे जग में, तन मनपी टरे।।
 
चारण कुल कविता शाखा, संता जनम लियो।
जगत असार लगा बचपन से, वैरागी पंथ लियो।।
 
बुटाटी तव धाम उजागर, आगत रोग झरे।
सच्चे मन से जो कोई ध्यावे, तिनके काज सरे।।
 
वात व्याधि निवारक स्वामी पक्षाघात हरे।
फेरी सात सफल दुःखहारी, जनमद मोद भरे।।
 
त्र मंत्र सिद्ध बढ़ ज्ञानी, जन मन सुखदाता।
मृत्यु प्राप्त गौ जीवित कर दी, जय-जय जीवनदाता।।
 
एकादषी द्वादषी धवली, कार्ति मास परे।
दो दिन का मेला मन भावन, मनसा पूरी करे।।
 
यह आरती स्वामीजी की, प्रेम सहित गावे।
‘‘श्रीराम’’ सदा सुख पावे, कर्म सुधर जावे।।
 
 

About Us

संत श्री चतुरदासजी महाराज मन्दिर विकास समिति बुटाटी धाम
-ः मन्दिर समिति द्वारा निःषुल्क व सहषुल्क दी जीने वाली सुविधाऐ:-
1. यात्रियों को खाने - पीने हेतु राषन सामग्री निःषुल्क दी जाती है।
2. यात्रियों के ठहरने हेतु कमरा, बरामदा व हॉल इत्यादि निःषुल्क सुविधा है।
3. यात्रियों को ओढ़ने - बिछाने हेतु बिस्तर निःषुल्क दिया जाता है।
4. यात्रियों को खाना पकाने के लिए बर्तन निःषुल्क दिये जाते है।
5. जो मरीज चल फिर नही सकते उनके लिए व्हील चैयर व स्ट्रेचर सुविधा भी निःषुल्क दी जाती है।
6. मन्दिर परिसर में सुलभ शौचालय की सुविधा है, जो सहषुल्क है।
    - स्पेषल स्नान $ लेटरिन = 5/- रूपये
     - केवल स्नान           = 3/- रूपये
     - केवल लेटरिन         = 2/- रूपये


संत श्री चतुरदासजी महाराज मन्दिर विकास समिति - बुटाटी धाम
-: मन्दिर में ठहरने पर मन्दिर के नियमों का पालन करना होगा :-
1. यात्री अपना पहचान पत्र, राषन कार्ड, आधार कार्ड व मोबाईल साथ रखें।
2. मन्दिर परिसर में अकेला यात्री रूकना सख्त मना है।
3. मन्दिर में ठहरने हेतु अपने मरीज को साथ लेजाकर ‘‘प्रबंधक कार्यालय’’ में पंजीयन (रजिस्ट्रेषन) अवष्य करावे। मन्दिर के बाहर रहने वाले पंजनीयन नही करावें।
4. पेषाब व शौच (लेटरिन) आदि खुले में नहीं करें।
5. मन्दिर सम्पत्ति आपकी है। इसके साथ तोड़ - फोड़ नहीं करें।
6. मन्दिर परिसर में प्लास्टिक थैलियों का प्रयोन नहीं करें।
7. पान गुटखा, बिड़ी, सिगरेट, शराब एवं मासाहार पदार्थो का सेवन पूर्णरूप समेे वर्जित है।
8. आवारा पशुओं व कुत्तों को प्रसाद नहीं खिलावें।
9. निःषुल्क दिये जीने वाले बिस्तर व बर्तनों को साफ सुथरा रखें।
10. अपने मरीज को अकेला छोड़कर कही घूमने नहीं जावें।
11. पानी पीने की प्याऊ पर बर्तन व कपड़ा नहीं धोवे।
12. राषन सामग्री जरूरत के हिसाब समेे ही लेवे।
13. मांगने वालों व भिखारियों को खाने पीने की चीजें व रूप्ये नहीं देवे।
14. मन्दिर परिसर में वाहन लेकर नहीं आवे, वाहन अन्दर खड़ा करना मना है।
15. मन्दिर परिसर में बने शौचालय का ही प्रयोग करें।
16. दानदाता दान केवल दान पेटी में ही डालें अथवा प्रबंधक कार्यालय में जमा करवाकर रसीद अवष्य लेवें।
17. मन्दिर परिसर गेट बन्द होने का समय रात्रि 10 बजे व सुबह खुलने का समय सुबह 5 बजे का है।
18. रात्रि 10 बजे के बाद व सुबह के 5 बजे से पहले कोई गेट के पास नहीं जावें।
19. मन्दिर परिसर में तहमल, लूँगी व टॉवल लगाकर घुमना शख्त मना है।
20. अण्डरवियर में स्नान नहीं करें कृपया तोलिया लपेटकर स्नान करें।
21. कृपया जरूरत होने पर ही पंखा, बल्ब व ट्यूब लाइट चालू करें।
22. ‘‘जल ही जीवन है’’ पानी का सही उपयोग करें।
23. अनजान व्यक्तियों का विष्वास व पूछताछ नहीं करें।
24. किसी भी समस्या व समाधान हेतु पूछताछ केन्द्र पर सम्पर्क करें।
25. मन्दिर के नियमानुसार मरीज मरीज सहित चार व्यक्ति मन्दिर में ठहर सकते है, ज्यादा नहीं।
26. आरती होने का समय सूर्यास्त व सुर्योदय का है।
27. कृपया रजाइयाँ बिछाकर नहीं बैठे, सिर्फ ओढ़ने में ही उपयोग करें।
28. रवाना होने समेे पहले कमरा सफाई कर के मन्दिर समेे लिये बर्तन व बिस्तर जमा करवाकर जावें।
 

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