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3 खम्मां की अग्नि परीक्षा:खुद के हाथ जले फिर भी ढाई साल के बेटे को बचाया, चार साल के बेटे को बचाने दौड़ी, लोगों ने पकड़ा, जिंदा जला

उस मां के दर्द का कोई ओर है न कोई छोर। कलेजे की कोर को जिसने जिंदा धधकते देखा हों...! आग की लपटों में घिरे चार साल के मासूम बेटे की चीखें और चीत्कार से बदहवास उस मां ने अपनी जिंदगी दांव पर लगा कर धधकती झोंपड़ी में छलांग लगा दी। ढाई साल के मासूम को तो वह मौत के जबड़े में से छीन लाई, लेकिन चार साल के बेटे को बचाने की जंग में वह निष्ठुर मौत से हार गई।

कुछ मिनटों पहले घास-फूस की जिस झोंपड़ी में खुशियां हिलोरें ले रही थी, वहां मातम पसर गया। दो बेटों के भविष्य को लेकर खम्मा ने जो सपने और अरमान संजोए थे, उन्हें दावानल बनी लपटों ने निगल लिया। कलेजे के टुकड़ों को बचाने के लिए वह खुद झुलस गई, लेकिन इससे भी बढ़कर वह दर्द बेइंतिहा साबित हुआ, जो ताजिंदगी न भूलने वाले इस ह्रदय विदारक हादसे ने उसे दिया। ससुर को खाना देने गई, पीछे झौंपे में लगी आग आकड़ली बक्सीराम के राजस्व गांव सुथारों की ढाणी निवासी खम्मादेवी शनिवार शाम 7.30 बजे कच्चे झोंपे में खाना बना रही थी। वहीं पास में उसके मासूम बेटे ललित व हितेश खेल रहे थे। बच्चों को खेलने में मशगूल देख खम्मादेवी चूल्हे पर दूध की कड़ाई रखकर सामने बने कमरे में ससुर मांगाराम को खाना देने गई। कुछ ही देर में मासूम बच्चों के चीखने-चिल्लाने की आवाज सुनकर बाहर दौड़कर आई तो झोंपड़ी में से आग की लपटें देखकर स्तब्ध रह गई। फिर भी हिम्मत कर वह झोंपे में घुसी और जलती आग में से हितेश (2.5 साल) को बाहर निकालकर ले आई। एक बच्चे को बाहर निकाला तब तक आग ने झोंपे को विकराल रूप से घेर लिया। हाथ जलने के बाद भी अपने चिराग को आंखों के सामने जलता देख खम्मादेवी बेटे को बचाने के लिए आग की तरफ जाने लगी तो मौके पर पहुंचे लोगों ने उसे पकड़ लिया और बच्चे को बचाने की कोशिश में लग गए। करीब आधा घंटे की मशक्कत के बाद आग बुझी तो ललित (4) पूरी तरह से जल गया था।

लोगों ने मासूम के शव को बाहर निकालकर परिजनों को सांत्वना दी। आकड़ली बक्सीराम सरपंच रईस दान चारण, पटवारी राजपालसिंह, धन्नाराम मेघवाल, पचपदरा थानाधिकारी प्रदीप डागा, सरिता जांगिड़, भीखदान, कैलाशदान, मालाराम मेघवाल बागुंडी, पूर्व सरपंच धनाराम मेघवाल, प्रेमप्रकाश मेघवाल, पंचायत समिति सदस्य टीकमाराम मेघवाल सहित ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचकर परिजनों को सांत्वना दी। वहीं असहाय परिवार को मुख्यमंत्री सहायता कोष से मदद दिलाने के लिए कागजात तैयार कर जिला प्रशासन को भिजवाए।

घर पहुंचा तो बदहवास हो गया कुंभाराम, ग्रामीणों ने बंधाया ढांढस सुथारों की ढाणी निवासी कुंभाराम पुत्र मांगाराम मेघवाल दिहाड़ी मजदूरी का कार्य करता है। हर दिन की तरह शनिवार सुबह घर से टिफिन लेकर शहर मजदूरी के लिए निकला था। शाम को जैसे ही वापस ढाणी पहुंचा तो बाहर लोगों का मजमा नजर आया। अंदर जाकर देखा तो आंगन में चार वर्षीय ललित का जला शव पड़ा था और पत्नी आंगन में बेसुध ही पड़ी थी। बेटे के शव को देखकर कुंभाराम भी बदहवास हो गया। लोगों ने सांत्वना देकर ढांढस बंधाया।

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