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श्रीराम कथा मे भगवान शिव के विश्वास स्वरूप का प्रंसंग सुनाया।

सालासर -  सालासर धाम मे स्थित सृजन सेवा सदन मे चल रही चमड़िया ग्रुप पुणे के द्वारा चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के दूसरे दिन मंगलवार को कथावाचक स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज ने भगवान शिव के विश्वास का स्वरूप का प्रंसंग सुनाया। कथावाचक ने कहा कि भगवान शिव विश्वास स्वरूप हैं और कथा भी विश्वास की छाया में ही होती है। जो विश्वास की छाया में रहता है वह शान्त सुखी रहता है। संशय शांति को काट देता है, संशय की छाया में जो रहता है वह अशान्त रहता है, भटकता रहता है। एक वैज्ञानिक सिद्धांत है, वृक्ष यदि मूल से अलग हो जाता है तो सूख जाता है और यदि जुड़ा रहता है तो हरा-भरा रहता है, उसमें फूल फल भी आते रहते हैं। इसी प्रकार शरीर पंच महाभूतों से बना है, इसको यदि निरोग बनाना है तो इसके मूल तत्त्वों आकाश, वायु, अग्नि, जल, पृथ्वी से जोड़कर रखना होता है।
वैसे ही हमारा जो सूक्ष्म शरीर है वह 19 तत्त्वों का है। हमारा स्वरूप ईश्वर का अंश है यदि ईश्वर से जीव नहीं जुड़ा रहेगा तो शूल बना रहेगा कष्ट बना रहेगा और जीव को स्वस्थ, शांत, सुखी रखना है तो इसे ईश्वर से जोड़कर रखना पड़ेगा। श्रीराम कथा जिस दिन प्रकट हो जायेगी उसी दिन महामोह मारा जायेगा। श्रीराम कथा चंद्रमा नहीं है चंद्रमा की किरण है अर्थात इसमें चंद्रमा के जैसे कोई दोष नहीं है किरण का केवल प्रकाश ही है और इसके प्रेमी संत चरण हैं। मनुष्य के जीवन मे दुःख और बंधन का कारण है उसके मन मे भरे विषय होता है। भगवान श्रीराम की कथा सुनने से परेशानियो का हल निकल सकता है।


कथावाचक ने कहा कि सच्चा भक्त व संत कभी भगवान से कुछ नहीं माँगता है जो माँगता है वह प्रेमी नहीं होता बल्कि भिखारी होता है।
इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष विष्णु चमड़िया, ओमप्रकाश चमड़िया, पवन चमड़िया, राजकुमार चमड़िया, लक्ष्मीकांत चमड़िया, श्याम सुन्दर शर्मा, रामस्वरूप सोमानी, पुरूषोतम मिश्रा सहित अनेक श्रोता मौजूद रहे।  

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