सालासर - सालासर मे स्थित सृजन सेवा सदन मे चमड़िया ग्रुप पुणे के द्वारा चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के पांचवे दिन शुक्रवार को कथावाचक स्वामी श्रवणानन्द सरस्वत महाराज ने भगवान श्रीराम व हनुमानजी महाराज का प्रंसंग सुनाया। कथावाचक ने कहा कि भगवान श्रीराम कर्तव्य व निष्ठवान थे। प्रातः काल नित्य अपने पिताजी को प्रणाम करके पूछते थे कि आज हमारे लिये क्या आज्ञा है। अध्ययन पूर्ण करके भी अपने मनसे काम नहीं करते हैं, पिता आज्ञा का पालन पूर्ण निष्ठा से करते हैं। ️ भगवान जीवसे बेहद प्रेम करते हैं किंतु यह एकांगी प्रेम करने वाला जीव भगवान की ओर निहारता भी नहीं है। वह तो संसार की ओर निहार रहा है। अगर भगवान की ओर जाता भी है तो भगवान को पाने को नहीं, भगवान से संसार को पाने के लिए जाता है। भगवान और उनके भ्राताओं की रूप माधुरी देखकर उनकी करुणा का दर्शन होता है। जो सबके पिता हैं आज सुख देने के लिए बालक बन गए हैं और मधुर लीलाएँ कर रहे हैं।

कथावाचक ने कहा कि जो समर्थ गुरु स्वरूप करुणा के साकार विग्रह हनुमानजी महाराज ने विषयी जीवा सुग्रीव और विभीषण को भगवान श्रीराम से मिलाया है, ऐसे गुरु की आराधना करके भी हम उनसे भगवान नहीं सम्मान संपत्ति सुविधा चाहते हैं। हनुमानजी हमें अनंत सुख देना चाहते हैं पर जीव अंत वाला अल्प सुख ही चाहता है। यदि सामान्य व्यक्ति को देते रहें तो कभी न कभी कोई ऐसा विशेष व्यक्ति आपके पास आयेगा जो आपको इस संसार से पार ले जायेगा। जब मन प्रसन्न होता है तब माँगना नहीं पड़ता है- जब सामने वाले प्रसन्न होते हैं तब अपने आप हृदय से आशीर्वाद निकलते हैं। विश्व का भरण पोषण का काम तो भगवान विष्णु का है और विष्णु तो स्वयं भगवान श्रीराम हैं।
इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष विष्णु चमड़िया, ओमप्रकाश चमड़िया, पवन चमड़िया, कमल अग्रवाल सहित सैकड़ो श्रद्धालु उपस्थित रहे।