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भगवान भक्त की भावना के आधार पर दीदार देते हैं - स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज।

सालासर - सालासर मे स्थित सृजन सेवा सदन मे चमड़िया ग्रुप पुणे के द्वारा चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के छठे दिन शनिववार को कथावाचक स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज ने भगवान श्रीराम से जुडे प्रंसंग सुनाए। कथावाचक ने कहा कि सम्पूर्ण जगत् परमात्मा की दिव्य रचना है। उनके संकल्प का कमाल कहो या उनकी आह्लादिनी शक्ति का कमाल कहो। भगवान की सृष्टि सत्त्व, रज व तम तीन गुणों से बनी हैं। वेदों में कर्म, उपासना व ज्ञान तीन काण्डों का बहुत महत्त्व है। आयुर्वेद में शरीर को स्वस्थ रखने के लिए कफ, वात, पित्त तीन दोषों का संतुलन होना बहुत आवश्यक है। ऐसे ही अध्यात्म जगत् में शरीर, मन और बुद्धि इन तीनों का महत्त्व है। पंच तत्त्वों से बना शरीर स्वस्थ ना हो तो व्यक्ति शांत नहीं हो सकता, और मन शुद्ध और शांत ना हो तो बुद्धि में संतुलन नहीं रह पाता। बुद्धि संतुलित न हो तो न संबंध स्वस्थ रहेंगे न व्यवहार सुरक्षित बचेगा।
महाराज ने कहा गोस्वामी तुलसीदासजी ने संसार के इन तीन प्रकार के लोगों में एक और का चिंतन किया है जिन्हें संसार भी प्रिय है और शरीर व मन से प्रेम करते हैं किंतु हृदय में दीनता है कि हमारे जीवन में कोई योग्यता नहीं है। वे अपने को न कर्म का, न उपासना का, न ज्ञान का अधिकारी मानते हैं। ऐसे लोग दीन कहलाते हैं।


जिस प्रकार वेद में सत्य एक है, ऐसे रामचरितमानस में कथा एक ही होती है पर कथा की दृष्टिकोण अलग अलग होती है। अधिकार के आधार पर कथा श्रवण करे। भगवान की भगवत्ता यही है की भगवान को आप जिस रूपमें देखना चाहो उस रूपमें दिख जायेंगे। भगवान भक्त की भावना के आधार पर दीदार देते हैं। जिनकी जैसी भावना थी उसके आधार पर वैसे दर्शन किये हैं।
इस दौरान आयोजन समिति के अध्यक्ष विष्णु चमड़िया, ओमप्रकाश चमड़िया, पवन चमड़िया, लक्ष्मीकान्त चमड़िया, कमल अग्रवाल, महावीर प्रसाद राव, कैलाश पौद्यार सहित अनेक श्रोता उपस्थित रहे।  

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