Search
Add Listing

श्रीराम कथा मे भगवान राम के जन्म का प्रंसंग सुनाया।

सालासर - सालासर मे स्थित सृजन सेवा सदन मे चमड़िया ग्रुप पुणे के द्वारा चल रही नौ दिवसीय श्रीराम कथा के चैथे दिन गुरूवार को कथावाचक स्वामी श्रवणानन्द सरस्वती महाराज ने भगवान श्रीराम के जन्म से जुड़े कारणो का प्रंसंग सुनाया। कथाचाचक ने कहा श्रीराम जन्म के पाँच मुख्य कारण हैं। पहला कारण सनत् कुमारों का भगवान के द्वारपाल जय-विजय को श्राप। दूसरा सती वृंदा का भगवान विष्णु को श्राप। तीसरा देवर्षि नारद का श्रीहरि को श्राप। चैथा प्रतापभानु को श्राप। पांचवा मनु-शतरूपा को भगवान का वरदान के बारे मे बताया। यदि वेद के मंत्र ना हो तो आप परमात्मा को नहीं जान पाओगे। जिस प्रकार अपने ही रक्त में शर्करा की मात्रा को जानने के लिए यंत्र चाहिये उसी प्रकार संसार में व्याप्त परमात्मा को जानने के लिये मंत्र की आवश्यकता होती है। गोस्वामी तुलसीदासजी अपने ही मन से कहते हैं कि मद और मान का परित्याग करो और भगवान का भजन करो यही जीवन का वास्तिवक सार है।

परमात्मा के नाम या रूप से भले माँगते न हो पर परमात्मा के स्वरूप की चाह सबको है और जब तक यह मिले नहीं कोई पूर्ण सुखी नहीं हो सकता। दुनिया में कोई नहीं है जिसे जीवन, ज्ञान और आनंद की चाह न हो। इस सम्पूर्ण सृष्टि को सुचारू रूप से संचालित करने वाले परमात्मा के जानकार वैज्ञानिक ऋषि हैं। ऋषि हर काल में रहते हैं जो अध्यात्म विज्ञान द्वारा जीवन जीना सीखा दे। सत्संग द्वारा सत् से आपका संबंध करा देते हैं- जिसे जानने के बाद कुछ जानना शेष नहीं रहेगा। संसारमें हम असफलता का कारण दूसरों को और सफलता का कारण अपने हाथ में रखना चाहते हैं। दूसरे की सफलता को भी हम अपने प्रभाव के कारण मानते हैं। रघुकुल के आचार्य गुरु वशिष्ठ ऐसे हैं जो सफलता का श्रेय दूसरे ऋषि को देते हैं, यह जानते हुए की यज्ञ के निमित्त भगवान तो आने ही वाले हैं। भगवान स्तुति प्रिय जनार्दन हैं। स्तुति करने से हमारी मति पवित्र होती है, भार मुक्त होती है, भाव युक्त होती है। इस दौरान आयोजन समिति के विष्णु चमड़िया, ओमप्रकाश चमड़िया, पवन चमड़िया, कमल अग्रवाल सहित अनेक श्रद्धालु उपस्थित रहे।  

Top News :