'जय मां सरस्वती'
"पंछी मेरे मित्र"
गगन के पंछी मेरे मित्र है
यह हमारे घर - आंगन आते
हम इन्हें दाना - पानी डालते
सारे पंछी होते हैं - बड़े निराले
सांझ सवेरे ची ची प्यारे गीत गाते
वृक्षों पर बैठकर , प्रकृति की रौनक बढ़ाते
गगन के पंछी मेरे मित्र है
पंछियों से मित्रता तुम बढ़ाओ
इन मासूमों की तुम भूख प्यास मिटाओ
हर वृक्ष पर पानी के परिंडे लगा कर
नन्हे मित्रों से तुम सच्ची मित्रता निभाओ
गगन के पंछी मेरे मित्र है
छोटे मोटे, नन्हे मुन्ने,प्यारे पंछी
हम सबके मन को खूब भाते
पानी के परिंडे कभी सूखे ना पड़े
आओ हम सब मिलकर
यह पक्की जिम्मेदारी उठाते
गगन के पंछी मेरे मित्र है
हरी भरी धरती माता रहे हमारी
आओ हम सब मिलकर वृक्ष लगाएं
आसमां में गीत गाते रहे पंछी सारे
आओ हम सब मिलकर इन्हें बचाएं
लेखक
देशभक्ति छोरा पंकज बाघसरा